अपना टाइम आएगा
ये दरबदर की ठोकरे जो खाके मैं हु आ गया,
कहा से चल पड़ा था मैं कहा हु देखो आ गया.
संभल संभल के चल रहा था पाव फिर भी जल गए,
हाथो की लकीरो पे देखो घाव कितने छिल गए.
न है किरण ना रोशनी ये कैसा अंधकार है,
मिलेगा रास्ता कभी ये मेरा तुच्छ विचार है.
संभल संभल के चल रहा था पाव फिर भी जल गए,
बंद आंखों के वो सपने आसुओ में घुल गए.
उम्मीदों से भरिपडी ज़िंदगी की ये उड़ान है,
हौसलो की मंजिलो की हरकिसी की पहचान है.
हुवा सफल कुबेर था शिखस्त तो विराम है,
किसीको भाए लंकापति किसीको भाए राम है.
कागजो की कश्ती है, क्रोध का तालाब है,
डूबना तो तय था तेरा पर तेरी आंधियो मे जान है.
मिले किनारा तो तू परिंदा है, नही मिला तो शमशान है,
जिंदगी के इस बाजार में बेईमानो को ही मिलता इनाम है.
उछल न यू, मटक न यू, गुरुर को तू कैद कर,
उलझ न यू, मचल न यू, ईमान को बुलंद कर.
राह तक अकेला चल फिर जहाँ भी साथ आएगा,
रख हौसला बंदे अपना टाइम भी जरूर आएगा.
- © केतन रमेश झनके
सही कहा है किसीने " वक़्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसीको कुछ नही मिलता ". यही हाल हमारी यातायात ज़िन्दगी का होता है. सफलता की तलाश में उम्मीद हारे हुवे बहोतसे देखे होंगे पर कठिनाईयो को पार करते हुवे सफल होने वाले बहोत कम. क्या अंतर होता है एक सफल इंसान की कामयाबी में और एक असफल की नाकामी में ?? फर्क सिर्फ की हुवी कोशिशो का होता है. हालात के साथ हवा के बहाव में बढ़ने वाले को कहा पता, मुश्किल कितनी हुवी थी उसी टूटी हुवी कशती को नैया पार कराने में. हम नसीब को कोसते है जब तय की हुए अंतराल में कामयाब न बने. भगवान को कोसते है जब किसी और को सुख और हमे दुख देखना पड़े. लेकिन संघर्ष यही है और सफलता संघर्ष के पार ये अकसर भूल जाते है.
हमारा नसीब अच्छा है कि हम उस मिट्टी में पैदा हुवे है जहाँ कई उदाहरण हम बचपनसे सुनते आए है. छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज, संत कबीर, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, छत्रपति शाहू महाराज, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर, संत गाडगेबाबा, अब्दुल कलाम और कई ऐसे शख्श है जिनका हमे बोध लेना चाहिए. उन महापुरुषो की जीवन यातना और संघर्ष हमे प्रेरित करने के लिए काफी है. बस हम अपनेआप पर कितना भरोसा करते है यह जानलेना जरूरी है. कहते है कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती, पर क्या हम वाकई में उस कोशिश को कर रहे है ?? अगर जवाब बिनासन्देह के हाँ है, तो आप की सफलता नजदीक है बस और कुछ इंतेजार करे. पर जवाब दगमगाता हुवा ना, तो अपनेआप को उस झुट से बाहर निकाले अभी भी वक़्त है सवर जाने का.